Saturday, 11 July 2015

मुझे तू याद आती है…

मन को भिगाती ये बरखा बहार,
मौसम बनाती ठण्डी फ़ुहार।
हर बूँद आकर कुछ बात बताती है,
मुझे तू याद आती है॥

बूँदों में तेरा ही अख्श नज़र आता है,
हर बादल तेरे होने का एहसास दिलाता है।
ये बारिश मेरी चाहत को और जगाती है,
मुझे तू याद आती है॥



तेरी हँसी, तेरी बात,
बीते समय मे ले जाती है।
इस मौसम की सुन्दरता में,
मुझे तू याद आती है॥

‘भोर’ की चाहत पर,
यकीन इक बार तो कर।
मुझे पास बुलाने की
कोशिश इक बार तो कर॥


तेरा साथ है बस,
बरखा तो साथ छोड जाती है,
सच! तू बहुत याद आती है॥


©प्रभात सिंह राणा ‘भोर’

(wallpapers - www.google.co.in)

No comments:

Post a Comment

Write your name at the end of the comment, so that I can identify who it is. As of now it's really hard for me to identify some people.
Sorry for the inconvenience..!!
Thanks..!!