छोटी-सी इस दुनिया में,
दाग-ए-ग़म कुछ गहरे हैं।
मत यकीन करना ऐ दिल,
यहाँ सभी नक़ाबी चेहरे हैं॥
लाख़ लोग दस लाख़ हैं चेहरे,
कौन सत्य है कौन प्रपंच।
असमंजस में है यह दिल,
यहाँ सभी नक़ाबी चेहरे हैं॥
हर मानव इस दुनिया में,
कई चेहरे लेकर चलता है।
पर असली जो चेहरा है,
वह रोता है, वह हँसता है॥
मानव ऊपर से चेहरे लेकर,
वह चेहरा ढँकता है,
हर बात, हर पल के लिए,
वह अलग से चेहरा रखता है॥
छल प्रधान यह दुनिया है,
प्रत्येक कर्म दिखावा है।
भीतर के हैं भेद अलग,
चेहरा तो मात्र छलावा है॥
‘भोर’ समय से देर निशा तक,
स्वार्थ के साजिश सेहरे हैं।
मत यकीन करना ऐ दिल,
यहाँ सभी नक़ाबी चेहरे हैं॥
©प्रभात सिंह राणा ‘भोर’
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