तुम्हें याद करने के बहाने तो दो।
हम भी याद आएँगे, याद आने तो दो।।
यूँ ही नहीं कोई मान लेता मोहब्बत हमारी।
दो-चार बार मोहब्बत हो जाने तो दो।।
तुम कहते हो इश्क़ में, यूँ ख़तरा बहुत है।
इक बार मुझे ख़तरा भी उठाने तो दो।।
तुमने कहा मोहब्बत तुम्हारी समझ के बाहर है।
मेरा इश्क़ मुझे तुमको समझाने तो दो।।
इश्क़ अब नहीं होता, यही कहा था न?
हो जाएगा मुझसे, पास आने तो दो।।
कोशिश तो करो तुम, समझ ही जाओगे।
मेरा हाल मुझे खुल के बताने तो दो।।
थक चुका है 'भोर' भला इश्क़ भी कब तक करे।
नज़रें फिराओ, आँसुओं को छुपाने तो दो।।
©प्रभात सिंह राणा 'भोर'
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हम भी याद आएँगे, याद आने तो दो।।
यूँ ही नहीं कोई मान लेता मोहब्बत हमारी।
दो-चार बार मोहब्बत हो जाने तो दो।।
तुम कहते हो इश्क़ में, यूँ ख़तरा बहुत है।
इक बार मुझे ख़तरा भी उठाने तो दो।।
तुमने कहा मोहब्बत तुम्हारी समझ के बाहर है।
मेरा इश्क़ मुझे तुमको समझाने तो दो।।
इश्क़ अब नहीं होता, यही कहा था न?
हो जाएगा मुझसे, पास आने तो दो।।
कोशिश तो करो तुम, समझ ही जाओगे।
मेरा हाल मुझे खुल के बताने तो दो।।
थक चुका है 'भोर' भला इश्क़ भी कब तक करे।
नज़रें फिराओ, आँसुओं को छुपाने तो दो।।
©प्रभात सिंह राणा 'भोर'
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