तेरी गहरी काली आँखों की,
तारीफ़ तो सबने की होगी।
उन लोगों की सूचि में,
इक नाम मेरा भी लिख लेना॥
उन घने लहरते बालों में भी,
लोग कई उलझे होंगे।
उन लोगों के जैसे मेरी,
भी उलझन तू लिख लेना॥
कुछ ने तेरी हँसी की ख़ातिर,
अपनी खुशियाँ छोड़ी होंगी।
मेरी भी खुशियों के बदले,
अपनी खुशियाँ लिख लेना॥
कानों के उन झुमकों पर भी,
कुछ का दिल तो आया होगा।
उन झुमकों पर ऐसा करना,
दिल मेरा भी लिख लेना॥
नाक की बाली ने भी,
सबका ध्यान कभी खींचा होगा।
ध्यान अभी तक बँटा हुआ है,
मन मचला होगा कुछ का।
ऐसा करना उन पर ये,
अंजाम मेरा भी लिख लेना॥
मेरी भी चाहत है तेरे
संग शुरु हों दिन मेरे।
अब ‘भोर’ नहीं तो नहीं सही,
इक शाम मेरी भी लिख लेना॥
©प्रभात सिंह राणा ‘भोर’
Wallpapers- Wall 1, The second one however is one of my best friend's hand. ;)