सोचा
है इस बार सही, मिल कर सब कुछ कह जाऊँगा।
हाँ
माना कुछ देर रही, तू ठहर सही, मैं आऊँगा॥
शायद
पता है तुझको सब, पर कहना बड़ा ज़रूरी है।
मेरे
मन में क्या है तू, मिल कर मैं तुझे बताऊँगा॥
मिलता
रहूँगा ख़्वाबों में भी, अक़्सर तुझसे रातों में।
जब-तब
फ़िर-फ़िर कई मर्तबा, मैं तेरा हो जाऊँगा॥
पहले
जाने कितने मौके मैंने खूब गँवाये हैं।
इस
बार यकीनन तुझको अपने दिल का शोर सुनाऊँगा॥
सोचा
है इस बार सही, मिल कर सब कुछ कह जाऊँगा।
तू
मेरी बातों को मन में रख के गुस्सा रहती है।
चल
जाने दे, वादा है अब फ़िर से नहीं सताऊँगा॥
भोर-साँझ
बस नाम तेरा ही, दिल-दिमाग में रहता है।
हाँ
कुछ दिन तो और सही, पर मैं धुँधला पड़ जाऊँगा॥
खूब
ख़्यालों में मिल-मिल के, तुझसे बातें की हैं मैंने।
पर
शायद मैं तुझसे मिलकर सच तो न कह पाऊँगा॥
सोचा
है इस बार सही, मिल कर सब कुछ कह जाऊँगा।
हाँ
माना कुछ देर रही, तू ठहर सही, मैं आऊँगा॥